Class 11 Chemistry : Know about Structural differences between solids, liquids and gases Important Topics

Class 11 Chemistry : Matter - Structural Difference

आज के इस पोस्ट में हम आपको कक्षा 11 और 12 की रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण प्रकरण Class 11 Chemistry : Know about Structural differences between solids, liquids and gases के बारे में बताने जा रहे हैं आशा है यह पोस्ट आपको पसंद आएगी.

Class 11 Chemistry : matter and its state

ठोस , द्रव तथा गैसों में संरचनात्मक अन्तर (Structural differences between solids, liquids and gases)

पदार्थ मुख्य रूप से तीन अवस्थाओं में पाया जाता है , ठोस , द्रव तथा गैस | ठोस अवस्था में उनके अणु परस्पर प्रबल आकर्षण बल द्वारा बँधे होते है | ये अणु गति करने के लिए स्वतंत्र नहीं होते है तथा लैटिस बिंदु पर इनके स्थान निश्चित होते है| यही कारण है कि ठोसों का आयतन तथा आकार निश्चित होता हैं | गैस के अणुओ के मध्य आकर्षण बल अति दुर्बल होने के कारण , उनके अणु गति करने के लिए स्वतंत्र होते हैं | इसी कारण से उनका आयतन तथा आकार अनिश्चित
होता हैं | द्रव अवस्था को ठोस एवं गैस अवस्था के माध्यमिक अवस्था के बीच माना जाता है , क्योंकि उस अवस्था में अणुओं के मध्य कार्यकारी आकर्षण बल ठोस तथा गैस के बीच का होता हैं | द्रवों के बहुत से गुण ठोसों तथा गैसों से समानता दर्शाते हैं
| उनके अनुसार द्रव या तो परिष्कृत ठोस है अथवा परिष्कृत गैस सामान्यतः गैस अवस्था को संघनित गैस अथवा पिघला ठोस माना जाता हैं | क्रांतिक ताप व दाब पर गैस एवं द्रव अवस्थाओं में विभेद नहीं किया जा सकता हैं |
इससे निष्कर्ष निकलता है कि द्रव गैसीय अवस्था का ठीक विस्तार हैं | जिसताप पर कोई ठोस पिघलता है ठीक उसी ताप पर वह गलित अवस्था से ठोस रूप में बदल जाता है अर्थात् किसी पदार्थ का गलनांक तथा हिमांक समान होता हैं | इससे यह
निष्कर्ष निकलता है कि द्रव अवस्था ठोस अवस्था का एक विस्तार हैं |
ठोस , द्रव तथा गैसों के गुणों में निम्न अन्तर होता हैं –
घनत्व – सामान्य ताप व दाब पर गैस सम्पूर्ण आयतन का 0.014% स्थान घेरती हैं | द्रव के अणु सम्पूर्ण आयतन का 90% स्थान घेरते हैं जबकि ठोस के अणु लगभग सम्पूर्ण आयतन को घेरते हैं |
 
आकार तथा आयतन – गैसों में अणु अनियन्त्रित गति करते है , अतः इनमें कोई bonding surface नहीं होती हैं | इस कारण गैसों का न तो कोई निश्चित आकार और न ही निश्चित आयतन होता हैं | द्रवों में आकार निश्चित नहीं होता है परन्तु
इनका आयतन निश्चित होता हैं | ठोसों में अणु निश्चित स्थान पर बन्धे रहते है , अतः इनका आकार तथा आयतन निश्चित होता हैं |
 

विसरण – गैसों में विसरण का गुण होता है , क्योंकि इनकी अणुओं के बीच की
दूरी अत्यधिक होती हैं | द्रवों में विसरण का गुण अल्प मरता में पाया जाता हैं |
ठोसों में विसरण का गुण केवल उच्च ताप पर अत्यधिक अल्प मात्रा में होता हैं |
 
अन्तर आण्विक बक तथा अन्तर आण्विक दुरी – गैसों में अन्तर आण्विक बल
अत्याधिक दुर्बल होते हैं | अतः अणुओं के बीच की दूरी बहुत अधिक होती हैं | गैस
अणुओं में तीनों प्रकार की गति होती हैं | द्रव अणुओं में आकर्षण बल ठोस से कम
होता है , अतः अणु बहुत द्रढ़ता से बन्धे नहं रहते हैं | अणुओं के बीच की दूरी ठोस
से अधिक होती हैं | इनमें दो प्रकार की गति होती हैं | ठोस में अणु क्रिस्टल जालक
में निश्चित स्थानों पर बन्धे होते हैं | अन्तर आण्विक बक प्रबल होता हैं | अणुओं में
थोड़ा भी सम्भव होता हैं |
 
तापीय प्रसार गुणांक तथा संकुचन – गैसों में तापीय प्रसार गुणांक अधिकतम होता
हैं | द्रवों में तापीय प्रसार गुणांक गैसों की अपेक्षा कम होता है , जबकि ठोसों में
तापीय प्रसार गुणांक न्यूनतम होता हैं |
 


 
Class 11 Chemistry : द्रव तथा द्रव क्रिस्टल में अन्तर

कुछ ठोस पदार्थ ऐसे होते है जिन्हें गर्ण करने पर इनका स्पष्ट प्रावस्था रुपान्तरण
एक के बाद दूसरे में सीधा हो जाता हैं | इसकें विपरीत कुछ ठोस पदार्थ ऐसे भी
होते है जिहें गर्म करने पर वह एक निश्चित ताप पर न पिघलकर पहले गँदले द्रव में
परिवर्तित होते है और फिर उच्च ताप पर स्वच्छ द्रव में परिवर्तित हो जाते हैं | इन्ही
तापमानों पर ठण्डा करने पर ये परिवर्तन ठीक इसी प्रकार व्युत्क्रम में होता हैं |
इससे स्पष्ट होता है कि कणों की मजबूत क्रमिक व्यवस्था के कारण पिघलकर वह
सीधे द्रव अवस्था में नहीं आते है बल्कि वह पहले एक माध्यमिक अवस्था से गुजरते
हैं जिसे मध्य माध्यमिक अवस्था या मोजोमर्फिक अवस्था कहते हैं | उच्च ताप यह
अवस्था अन्त में स्वच्छ द्रव में परिवर्तित हो जाती हैं |
यह माध्यमिक अवस्था विषमदैशिमता प्रदर्शित करती है अर्थात् विभिन्न दिशाओं में
विभिन्न भौतिक गुण होते हैं | इसके कारण यौगिक प्रकाशीय गुण प्रदर्शित करते है ,

जिसके कारण ध्रुवित प्रकाश में व्यतिकरण पैटर्न प्राप्त होते हैं | इसकें विपरीत
वास्तविक द्रव समदैशिक होते हैं | गँदले द्रव को द्रव क्रिस्टल कहा जाता हैं |
यह मध्य अवस्था शेष दो अवस्थाओं के समकक्ष कुछ गुण प्रदर्शित करती हैं | इस
अवस्था के गुण क्रिस्टलीय अवस्था से भिन्न किन्तु द्रवों से अधिक मिलते – जुलते
होते है ; जैसे – श्यानता तथा पृष्ट तनाव आदि | द्रव क्रिस्टल को निम्न प्रकार से भी
परिभाषित किया जा सकता है –
किसी पदार्थ कि वह माध्यमिक अवस्था या मोजोमर्फिक अवस्था जो धुँधली या
पारभाषी हो या विषमदैशिकता गुण प्रदर्शित करे , द्रव क्रिस्टल कहलाती है | ठोस
से धुँधले द्रव में बदलने वाले पहले ताप को संक्रमण बिन्दु तथा दूसरे ताप को जिस
पर धुँधला द्रव स्वच्छ द्रव में परिवर्तित हो जाता है गलनांक कहलाता हैं |
वह पदार्थ जो द्रव क्रिस्टल बनाते है अधिक स्थायी होते है और गर्म करने पर
अपघटित नहीं होते हैं |
 
सात खण्डीय द्रव क्रिस्टल पर
 
यह द्रव क्रिस्टलों का एक महत्त्वपूर्ण उपयोग है जिसके द्वारा सात खण्डीय सेल का
निर्माण किया जा सकता हैं | यह डिजिटल तत्वों में अंकों को प्रदर्शित करने के लिए
व्यापक रूप से प्रयुक्त होने वाली विधि है | पॉकेट केलकुलेटर तथा कलाई घड़ी में
अंकों ( 0 से 9 तक प्रदर्शन के लिए ) यह विधि प्रयुक्त होती हैं | नेमैटिक क्रिस्टलों के
प्रकाशिक विधुत क्षेत्र द्वारा प्रभावित किये जाते हैं | सात खण्डीय सेल बनाने में द्रव
क्रिस्टल की एक पतली फिल्म काँच पर एक विशेष व्यवस्था में व्यवस्थित पारदर्शी
इलेक्ट्रोडो के बीच सैण्डविच कर डी जाती हैं | किसी विशेष खण्ड को ऊर्जित किये
जाने पर द्रव क्रिस्टलों के अणुओं का अभिविन्यास परिवर्तित हो जाता हैं |
फलस्वरूप पदार्थ अपारदर्शी हो जाता हैं | इस प्रकार उपयुक्त खण्डों को सक्रियत
करके अंक बनाए जा सकते हैं |
a
f b
 
e g c
 

d
 
जैसा की चित्र में दिखाया गया है , की इस सेल में a से g तक सात खण्ड होते हैं |
इसका उपयोग करने के लिए अंकों को बाइनरी कोड में बदलकर फिर डि-कोडिंग
किया जाता हैं| जिसके फलस्वरूप स्क्रीन पर बने अंक में उपयुक्त अंक चमकने लगते
हैं |

 
थर्मोग्राफी
 
कोलेस्ट्रिक की संरचना (सर्पिलाकार) होती हैं | जिनके मध्य थोड़ी रिक्त स्थान होता
हैं | यह रिक्त स्थान ताप के साथ परिवर्तित होता हैं | अतः इनसे परिवर्तित हुई
प्रकाश की किरणों की तरंगदैघ्र्य भिन्न हो जाती है अर्थात् परिवर्तित प्रकाश का रंग
बदल जाता हैं | अतः इस रंग परिवर्तन द्वारा स्थान विशेष के तापमान को ज्ञात
किया जा सकता हैं | द्रव क्रिस्टलों के इस गुण का उपयोग करके किसी भाग का ताप
ज्ञातकर शरीर में स्थित ट्यूमर के सन्दर्भ में जानकारी प्राप्त की जा सकती हैं | इस
विधि को कहते हैं |
इस विधि में उपयुक्त द्रव क्रिस्टल की थोड़ी – सी मात्रा इंजेक्शन द्वारा तत्पश्चात
शरीर में उच्च ऊर्जा युक्त प्रकाश विकिरण प्रवाहित किया जाता है तथा परिवर्तित
विकिरणें का अध्ययन फोटों सेल जैसे – संसाघन के स्वस्थ भाग के तापमान की
तुलना में भिन्न होता हैं | अतः इस भागों से परिवर्तित हुई प्रकाश किरण की
तरंगदैघ्र्य अथवा रंग भी भिन्न होता हैं | इस भिन्न तरंगदैघ्र्य या रंग के आधार पर
ट्यूमर की स्थिति का पता लग जाता हैं |
 
हाइड्रोजन बन्ध
 
जब molecule में hydrogen atom हल्के छोटे और प्रबल विधुत ऋणात्मक atom जैसे – O , N ,F इत्यादि के साथ इलेक्ट्रानों का सहभाजन करके molecules का निर्माण करता है तो ऐसे molecule अधिक ध्रुवीय होते हैं |

जिनका H – सिरा धनात्मक तथा दूसरा सिरा ऋणात्मक होता हैं | ऐसे अणु जब एक – दूसरे के समीप आते है तो स्थिर – बैधुत आकर्षण के कारण हाइड्रोजन atom दो प्रबल विधुत ऋणात्मक परमाणुओं के बीच आ जाता है ,
जिनमें से एक के साथ वह सहसंयोजक बन्ध द्वारा जुड़ा होता है तथा दूसरे के साथ हाइड्रोजन बन्ध जुड़ा होता है , हाइड्रोजन बन्ध को बिंदुकित रेखा (H—- ——-) से प्रदर्शित करते हैं | हाइड्रोजन बन्ध दो प्रकार का होता है –

  1. अन्तर आण्विक हाइड्रोजन बन्ध – यह हाइड्रोजन बन्ध एक ही अणु के दो
    atom अथवा Groups के बीच निर्मित होता है |
     
  2. अन्तरा – आण्विक हाइड्रोजन बन्ध – यह हाइड्रोजन बन्ध दो या दो से अधिक
    अणुओं के मध्य निर्मित होता है | हाइड्रोजन बन्ध dipole – dipole forces से
    अधिक प्रबल होते है तथा द्रवों में अंतराअणुक बल उत्पन्न करने में सहायक
    होते हैं |

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