Earth Motion : प्रथ्वी की गतियाँ, Rotation and revolution of Earth, important facts of Geography 2

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Earth Motion : प्रथ्वी की गतियाँ, Rotation and revolution of Earth

Earth Motion

Earth Motion : प्रथ्वी की गतियाँ, Rotation and revolution of Earth

प्रथ्वी की गतियाँ

प्रथ्वी सौरमंडल का सबसे अनोखा ग्रह है जिसे नीला ग्रह के नाम से जानते हैं इस ग्रह पर जीवन संभव है जीवन और पर्यावरण के लिए जरूरी प्रथ्वी की गतियों के विषय मे जानते हैं – प्रथ्वी की दो गतियाँ हैं –

  1. घूर्णन (Rotation) अथवा दैनिक गति
  2. परिक्रमण (Revolution) अथवा वार्षिक गति

घूर्णन (Rotation) अथवा दैनिक गति

GK Questions in Hindi

प्रथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व लटटू की भांति घूमती रहती है जिसे  ‘ प्रथ्वी का घुर्राण या परिभ्रमन कहते है इसके कारण दिन व रात होते है –

  1. नक्षत्र दिवस   (sidereal day ) एक मध्याह्न रेखा के ऊपर किसी निश्चित नक्षत्र के उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच की अवधि को नक्षत्र दिवस कहते है यह 23 घंटे व 56 मिनट अवधि की होती है
  2. सौर दिवस (SOLAR DAY ) जब सूर्य को गतिहीन मानकर प्रथ्वी उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप मैं की जाती है तब सौर दिवस ज्ञात होता है – इसकी अवधि पूरे 24 घंटे की होती है –

         परिक्रमण अथवा वार्षिक गति

    प्रथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ – साथ सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार मार्ग पर 365 दिन तथा 6 घंटे मैं 

    एक चक्कर पूरा करती है –प्रथ्वी के इस अंडाकार मार्ग को ‘भू –कक्षा ,कहते है प्रथ्वी की इस गति को

    परिक्रमण या वार्षिक गति कहते है –

उपसौर (perihelion ) प्रथ्वी जब सूर्य के अत्यधिक पास होती है तो इसे उपसौर कहते है – ऐसी स्थिति 3 जनवरी को होती है

अपसौर ( aphelion ) प्रथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तो इसे अपसौर कहते है –ऐसी स्थिति 4 जुलाई को होती है –

Earth Motion : दिन रात का छोटा व बड़ा होना

यदि प्रथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई न होती तो सर्वत्र दिन – रात बराबर होते –इसी प्रकार  यदि प्रथ्वी सूर्य की परिक्रमा न करती तो

सूर्य व चंद्रमा की आकर्षण शक्तियो के  कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वार भाटा कहा जाता है इससे उत्पन्न तरंगो को ज्वारीय तरंग कहते है विभिन्न स्थानो पर ज्वार भाटा की ऊंचाई मैं पर्याप्त भिन्नता होती है जो सागर मैं जल की गहराई सागरीय तट की रूपरेखा तथा सागर के खुले होने या बंद होने

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