Education psychology in Hindi : Important notes मनोविज्ञान का अर्थ, क्षेत्र, विशेषताएँ, TET & CTET preparation 2024

Educational Psychology in Hindi
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Education psychology in Hindi : इस पोस्ट में जानेंगे मनोविज्ञान का अर्थ, शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र, विशेषताएँ, जो कि TET & CTET preparation 2024, बी0 टी0 सी0 परीक्षाओं की तैयारी के लिए महत्वपूर्ण हैं | 

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Introduction:

भूमिका-psychology को हिन्दी मे`मनोविज्ञान कहते है\ psychology शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है|इसमे प्रथम शब्द psycho जिसका अर्थ होता है- Soul(आत्मा) तथा इसका शब्द लोगस(Logos) का अर्थ होता है| विज्ञान(science) इस प्रकार दोनों शब्दों से मिलकर जो psychology शब्द बना उसका अर्थ है| आत्मा का विज्ञान(study of soul)  

What is Psychology? मनोविज्ञान का अर्थ 

मनोविज्ञान का अर्थ हैं- आत्मा का विज्ञान| मनोविज्ञान को पहले दर्शन शास्त्र की एक शाखा के रूप मे जना जाता था| मनोविज्ञान दर्शन शास्त्र की वह शाखा है जिसमे मन और मानसिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है|” परतू आज की बदलती हुई सामाजिक परिस्थितियों मे इसे एक शुद्ध विज्ञान माना जाता था | तथा विध्यालयों मे एक स्वतंत्र विषय के रूप मे अध्ययन होता था|

16वी०  शताब्दी तक मनोविज्ञान को “आत्मा का विज्ञान माना जाता था”

            आत्मा के विषय मे ज्ञान अर्जित करना इसका उद्देश्य होता था| परंतु रंग, रूप के बिना आत्मा का अध्ययन वैज्ञानिक रूप से सम्भव न हो सक्ने के कारण इसे आत्मा का विज्ञान न मानकर मस्तिष्क का विज्ञान माना गया तथा इसका उद्देश्य मस्तिष्क का अध्ययन करना था| परंतु अध्ययन वैज्ञानिक रूप से सम्भव ना हो सका| इसलिए मनोविज्ञान को 19बी० शताब्दी मे “चेतना का विज्ञान” कहा गया| किन्तु इस परिभाषा पर भी वैज्ञानिक मतभेद रहा|

            20वी० शताब्दी के आरंभ मे मनोविज्ञान को “व्यवहार का विज्ञान” कहा गया| चूंकि व्यवहार को देखा जा सकता था, अनुभव परखा जा सकता था| अतः यह परिभाषा स्वीकार की गयी|

            इस प्रकार मनोविज्ञान की परिभाषा को विभिन्न मनोविज्ञानिकों ने परिभाषित किया है|

“मनोविज्ञान मानव व्यवहार एवं मानव सम्बन्धों का अध्ययन है”- क्रो एण्ड क्रो

     “व्यवहार एवं अनुभव के विज्ञान को मनोविज्ञान कहते है” – स्किनर-

  • “मनोविज्ञान का संबंध प्रत्यक्ष मानव व्यवहार से है” –गैरिसन व अन्य
  • “आधुनिक मनोविज्ञान का संबंध व्यवहार की वैज्ञानिक खोज से है”-मन
  • मनोविज्ञान की सबसे संतोषजनक परिभाषा, मानव व्यवहार के विज्ञान के रूप मे की जा सकती है|” पिल्सबरी 
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  • मनोविज्ञान, वातावरण के संबंध मे व्यक्तियों की क्रियायों का वैज्ञानिक अध्ययन है|”-woodworth
  • मनोविज्ञान की सर्वोत्त्म परिभाषा चेतना के वर्णन और व्याख्या के रूप मे की जा सकती है|”-जेम्स  
  • मनोविज्ञान मानव व्यवहार का विज्ञान है|” कलसनिक
  • मनोविज्ञान आचरण तथा व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है|” –मेक्डूगल
  • मनोविज्ञान मानव अनुभव एवं व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है|”-थाउलस
  • मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो प्राणी एवं वातावरण के परस्परिक सम्बन्धों से युक्त है|”-वोरन
  • मनोविज्ञान वह विधायक विज्ञान है जो व्यक्तियों और पशुओ के व्यवहार का अध्ययन इस अर्थ मे करता है जिसमे व्यवहार को विचारों तथा भावनाओ के इस आंतरिक जीवन को अभिवयक्ति मानते है|”

           इस प्रकार स्पष्ट है की मनोविज्ञान की विभिन्न क्रियाओं एवं व्यवहार का अध्ययन करता है अर्थात वातावरण मे विभिन्न उत्तेजकों के प्रति जिस प्रकार के कार्य या प्रतिक्रियाओं को प्रदर्शित करता है| इसका अध्ययन मनोविज्ञान है|  

शिक्षा का अर्थ- (Meaning of Education)  

Education शब्द लैटिन के एजुकेटम(educatum)शब्द से विकसित हुआ है| तथा educatum शब्द लैटिन भाषा के `E’ तथा “duco’’ से मिलकर बना है|

                       E का अर्थ है अंदर की ओर| docu का अर्थ है बाहर की ओर

           इसी प्रकार शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष धातु के `अ’ प्रत्यय लगाने से बना है|

      शिक्ष+अ = शिक्षा

  अतः “शिक्षा” शब्द का शव्दिक अर्थ है: बालक की अंतर्निहित शक्तियों , विशेषताओ , क्षमताओ का विकास करना शिक्षा कहलाता है|

शिक्षा व मनोविज्ञान मे संबंध – (Relation between Education and Psychology) 

शिक्षा और मनोविज्ञान को जोड़ने वाली कड़ी है-

     मानव व्यवहार| इस संबंध मे दो विद्वानो के विचार निन्म है:-

  1. ब्राउन- शिक्षा वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति के व्यवहार मे परिवर्तन किया जाता है|”
  2. विल्सबरी- मनोविज्ञान मानव-व्यवहार का विज्ञान है |”

इन परिभाषाओ से शिक्षा और मनोविज्ञान से संबंध पर पर्याप्त प्रकाश पड़ता है| दोनों का संबंध मानवक व्यवहार से है

  शिक्षा , मानव व्यवहार मे परिवर्तन करके उसे उत्तम बनाती है| मनोविज्ञान, मानव-व्यवहार का अध्ययन करता है

        “ B.N. jha ने ठीक ही लिखा है-

  “ शिक्षा जो कुछ करती है और जिस प्रकार वह किया जाता है, उसके लिए उसे मनोविज्ञान खोजो पर निर्भर होना पड़ता है|” और “शिक्षा की प्रक्रिया पूर्णतया मनोविज्ञान, शिक्षा का आधारभूत विज्ञान है|”

        रेबर्न के अनुसार”-

“मनोविज्ञान के ज्ञान के प्रचलित होने के कारण ही शिक्षणबिधियों मे क्रांतिकारी परिवर्तन हुये है|”

              मनोविज्ञान द्वारा किए जाने वाले परिवर्तन-

  1. बालक का महत्व
  2. बालको की व्यक्तिगत विभिन्नताओ का महत्व
  3. पाठ्यक्रम मे सुधार
  4. शिक्षणबिधियों मे सुधार
  5. सीखने की प्रकिया मे उन्नति
  6. पाठ्यक्रम सहभागी क्रियाओं पर बल

     शिक्षा मनोविज्ञान=> उत्पत्ति 1900 शताब्दी से मनी जाती है| शिक्षा एवं मनोविज्ञान के अर्थ समझने के बाद यह स्पष्ट होता है की  “एक ऐसा विषय जो शिक्षा संबंधी ज्ञान का मनोवैज्ञानिक ढंग से व्याख्या करता है,” “शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है”

       यह हम जानते है की मनोविज्ञान सीखने से संबन्धित मानव विकास की व्याख्या करता है और शिक्षा सीखने के क्या को प्रदान करने की चेष्टा करती है|

                    ‘’ अतः शिक्षिक प्रक्रियाओं को मनोविज्ञान ढंग से अध्ययन करने वाला विषय शिक्षा मनोविज्ञान है”

                    कुछ मनोवैज्ञानिकों ने शिक्षा-मनोविज्ञान की परिभाषा निम्न प्रकार दी है-

 स्किनर-“ शिक्षा मनोविज्ञान,मनोविज्ञान की वह शाखा है| जिसका संबंध पढ़ने और सीखने से है|”

 क्रो एण्ड क्रो के अनुसार– “शिक्षा मनोविज्ञान व्यक्ति के जन्म से लेकर ब्रध्धावस्ता तक सीखने के अनुभवो का वर्णन और व्याख्या करता है |”

 नाल एवं अन्य– “शिक्षा मनोविज्ञान मुख्य रूप से शिक्षा की सामाजिक प्रकिया से परिवर्तित या निर्देशित होने वाले मानव व्यवहार के अध्ययन से संबन्धित है|”

कालसनिक– “शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धांतों और अनुसंधान का शिक्षा मे प्रयोग है |”

        `शिक्षा मनोविज्ञान’ दो शव्दों शिक्षा और मनोविज्ञान से मिलकर बना है| इस प्रकार शाब्दिक अर्थ मे शिक्षा संबंधी मनोविज्ञान है| यह शिक्षा प्रकिया से संबन्धित है|

यह शिक्षा के क्षेत्र मे प्रयुक्त मनोविज्ञान है| आधुनिक  मनोविज्ञान इसे मनोविज्ञान की एक व्यावहारिक शाखा के रूप मे स्वीकार करते है| अतः शिक्षा के क्षेत्र मे जब मनोविज्ञान सिद्धांतो का निरूपण किया जाता है तो शिक्षा मनोविज्ञान का जन्म होता है|

                    शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ स्किनर से इस प्रकार शिक्षा से जो सामाजिक प्रकिया है और मनोविज्ञान से जो व्यवहार संबंज्धी विज्ञान है ग्रहण करता है|

              संक्षेप मे- हम कह सकते है की “ शिक्षा मनोविज्ञान , शिक्षा की प्रकिया मे मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है|” शिक्षा मनोविज्ञान का केंद्र  मानव व्यवहार है|

                    शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति=> कोई भी विषय या शास्त्र विज्ञान तभी कहा जाता है जब उसके अंतर्गत वैज्ञानिक प्रकियाओ के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जाता है| शिक्षा विशेषज्ञो का विचार है कि शिक्षा मनोविज्ञान अपनी विभिन्न खोजो के लिए वैज्ञानिक प्रक्रियाओं का प्रयोग करता है| 

           सभी शिक्षा विशेषज्ञों ने शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति को वैज्ञानिक माना है

                    “इस प्रकार वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग करने के कारण शिक्षा मनोविज्ञान की वैज्ञानिक प्रकृति मानी जाती है|

                इस संदर्भ मे दो विद्वानो ने अधोलिखित कथन निन्म है|

       क्रो एंड क्रो- ‘शिक्षा मनोविज्ञान को व्यावहारिक विज्ञान माना जा सकता है क्योंकि यह मानव व्यवहार के संबंध मे वैज्ञानिक पद्धति से निश्चित किए गए सिद्धांतों एवं तथ्यो के अनुसार सीखने की व्याख्या करने का प्रयत्न करता है|

      सारी एवं टेल्कफोर्ड- “शिक्षा मनोविज्ञान अपनी खोज के प्रमुख उपकरणो के रूप मे विज्ञान की विधियो का प्रयोग करता है|”

             शिक्षा मनोविज्ञान का स्वरूप(प्रकृति) इस प्रकार है|

  1. शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति वैज्ञानिक है|
  2. यह विज्ञान अपनी खोजो के लिए वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करता है
  3. शिक्षा मनोविज्ञान किसी छात्र की विषय मे भविष्यवाणी कर सकता है
  4. शिक्षा मनोविज्ञान के ज्ञान के के आधार पर शिक्षक किसी समस्या का बिश्लेष्ण कर सकता है
  5. खोज के आधार पर जो निष्कर्ष निकाले जाते है उनका प्रयोग शिक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है|

             सारांश रूप मे शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति के संबंध मे यही कहा जा सकता है की शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति-

  1. लचीली भी है तो स्थिर भी
  2. अतिव्यापक है तो अति सूक्ष्म भी
  3. सर्वव्यापी है तो सार्वभौमिक भी
  4. इसका संबंध शिक्षण से है तो अधिगम से भी
  5. इसकी अपनी समस्याए है तो उन समस्याओं का समाधान

    शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र (Scope of Educational Psychology)

     डगलस तथा होलैंड का कथन है,”शिक्षा मनोविज्ञान की विषय सामर्थी शिक्षा की प्रक्रियाओं मे भाग लेने वाले व्यक्ति की प्रकृति,मानसिक जीवन तथा व्यवहार है|”

               शिक्षा मनोविज्ञान मानव-व्यवहार का शैक्षणिक परिस्थितियों मे अध्ययन करता है|

  1. मानव विकास– शिक्षा मनोविज्ञान बालक के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन करता है| यह अध्ययन वैज्ञानिक रीति से किया जाता है| इसमे विकास की प्रमुख अवस्थाओ का अध्ययन किया जाता है| वे है शैशवावस्था(infancy), बाल्यावस्था(childhood) और किशोरावस्था(adolescance)| शिक्षा मनोविज्ञान मे इन अवस्थाओं की विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है|
  2. व्यक्तिगत भिन्नताओं का अध्ययन- सभी बालक एक समान नहीं होते| क्रियाए,रुचियाँ, बौद्धिक स्तर तथा क्षमताएं भिन्न होती है| शिक्षा मनोविज्ञान यह बताता है की व्यतिगत भिन्नताओं के आधार पर शिक्षा क्यों दी जानी चाहिए|शिक्षा मनोविज्ञान यह भी बताता है की बालक को किस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए|
  3. अनुशासन संबंधी अध्ययन- प्रतेक शैक्षणिक संस्था मे अनुशासन का विशेष महत्व है| परंतु विध्यालयों मे यह समस्या रहती है की अनुशासन कैसे स्थापित किया जाए? विध्यालय मे अनुशासन स्थापित करने के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की सहयता की जाती है|
  4. मापन तथा मूल्यापन– शिक्षा मे मूल्यांकन का विशेष महत्व होता है| शिक्षक और अभिभावक यह जानना चाहते है की यूने बालकों ने कितना ज्ञान अर्जित किया एवं भविष्य मे उनसे क्या आशा की जा सकती है| शिक्षा मनोविज्ञान मे बुद्धि का मापन, व्यक्तित्व का मापन एवं निष्पत्ति मापन किया जाता है|
  5. पाठ्यक्रम का निर्माण- सभी छात्रों के लिए एक पाठ्यक्रम नहीं बनाया जा सकता| पाठ्यक्रम का निर्माण,बालको की रुचियाँ, अभिरुचियाँ, आवशयकताओं, आयु,तथा क्षमताओं के अनुसार किया जाना चाहिए|

                      गैरिसन ने शिक्षा मानोविज्ञान क्षेत्र इस प्रकार स्पष्ट किया है-

  1. छात्रों के जीवन को सम्मृद तथा विकसित करना
  2. शिक्षकों को अपने शिक्षण कार्य मे उन्नति करने मे सहायक होना

      शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र मे निम्नलिखित बातों को अध्ययन किया जाता है-

  1. बालक की विशेष योग्यताओं का अध्ययन
  2. बालकों की रुचियों और अरुचियों का अध्ययन
  3. बालक के वंशानुक्रम और वातावरण का अध्ययन
  4. बालक के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन
  5. बालक के शारीरिक, मानसिक और संवेगात्मक क्रियाओं का अध्ययन
  6. बालक के व्यक्तिगत विभिन्नताओं का अध्ययन
  7. सीखने की क्रियाओं का अध्ययन
  8. शिक्षा क क्रियाओ का अध्ययन
  9. अनुशासन संबंधी समस्याओं का अध्ययन
  10. पाठ्यक्रम निर्माण से संबन्धित अध्ययन
  11. निर्देशन व परामर्श
  12. स्मृति व विस्मृति का अध्ययन
  13. मापन तथा मूल्यांकन
  14. विशिष्ट बालकों का अध्ययन
  15. कल्पना व रचनात्मक का अध्ययन

 शिक्षा मनोविज्ञान की विशेषताएँ (Characteristics of Educational Psychology)-    

              स्किनर के अनुसार- शिक्षा मनोविज्ञान की निम्नलिखित विशेषताएँ है-

  1. शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का व्यावहारिक रूप है|
  2. इसका प्रमुख केंद्र मानव व्यवहार है
  3. यह शिक्षा की प्रक्रिया मे मानव व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है|
  4. शिक्षा मनोविज्ञान अपनी खोजो के लिए वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करता है
  5. शिक्षा मनोविज्ञान यह भविष्यवाणी करता है कि छात्र मे ज्ञान प्राप्त करने की  कितनी क्षमता है?
  6. शिक्षा मनोविज्ञान प्राप्त निष्कर्षों का प्रयोग शिक्षा की समस्याओं के समाधान के लिए करता है|

शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य (Objectives of Educational Psychology):- 

                 शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य लगभग वहीं है जो शिक्षा के है| फिर भी लेखको ने अपने विचारों के अनुसार विभिन्न की शब्दावली का प्रयोग किया है|

  1. गैरिसन व अन्य- “शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य है- व्यवहार का ज्ञान, भविष्यवाणी और नियंत्रण|”
  2. kuppuswamy के अनुसार– “ शिक्षा मनोविज्ञान का उद्देश्य मनोविज्ञान के सिद्धांतों को उतम अधिगम (सीखना) के हितों के प्रयोग करना है|

  कैली ने शिक्षा मनोविज्ञान के 9 उद्देश्य बताये है-

 स्किनर ने शिक्षा मनोविज्ञान के 8 विशिष्ट उद्देश्य बताये है|

 => अध्यापक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता/ आवश्यकता/ महत्व;-

       एक शिक्षक के लिए शिक्षा मनोविज्ञान की जानकारी इस कारण आवश्य है क्योंकि मनोविज्ञान के द्वारा या शिक्षा के क्षेत्र मे अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए है| अब “शिक्षा बालक के लिए है बरन बालक शिक्षा के लिए इनहि को महत्व दिया गया है|

      इसी कारण शिक्षक को शिक्षा मनोविज्ञान की जानकारी आवश्यक हो गई|

                          शिक्षा मनोवज्ञान के लिए क्षेत्र के अध्ययन विषयों से यह स्पष्ट है कि बाल केद्रित शिक्षा को समझने उन्हे शिक्षित करने के लिए अधिगम प्रक्रियाओं को जानना होगा, समझना होगा और अपने मे वह क्षमता विकसित करनी होगी जिससे वह एक सफल प्रभावशाली शिक्षण कर सके|

     स्किनर का मत है- “ शिक्षण मनोविज्ञान अध्यापकों कि तैयारी कि आधारशिला है|”

         मुख्य रूप से इन बिन्दुओ पर शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता अधिक है|

  1. शिक्षा मे बालको को महत्व प्रदान किया जाता है– प्राचीन समय मे शिक्षा विषय प्रधान थी| शिक्षण प्रक्रिया मे शिक्षक सक्रिय रहता था| बालक की ओर विशेष ध्यान नही दिया जाता था| परंतु अब मनोविज्ञान के प्रभाव के कारण शिक्षा बालक केन्द्रित हो गई| अब इस तथ्य को मान्यता दी गयी शिक्षा बालक के लिए है , बालक शिक्षा के लिए है|
  2. बालक की मूल प्रवत्तियों को महत्व प्रदान किया है- बालक का व्यवहार उसकी मूल प्रबृत्तियों के अनुसार निर्धारित होती है| बालक अपनी मूल प्रवृत्तियों के अनुसार ही कार्य करते है | प्राचीन समय मे शिक्षक बालक की मूल प्रवृतियों पर कोई ध्यान नहीं देता था| परंतु अब मनोविज्ञान के प्रभाव से बालको की मूल प्रवृतियों पर विशेष डायएन दिया जाता है|
  3. बालक का सर्वांगीण विकास- अब मनोविज्ञान के प्रभाव से शिक्षा का उद्देश्य बालक के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देना है| अब शिक्षा का उद्देश्य बालक का केवल विकास करना ही नहीं अपितु शिक्षा से यह आशा की जाती है कि वह बालक का प्रटेक क्षेत्र मे विकास करे|
  4. बालक कि व्यक्तिगत भिन्नताओं को महत्व– सभी बल्क समान नहीं होते है| उनकी रुचियाँ, क्षमताओं, दृष्टिकोणो मे अंतर होता है| पहले इन भिन्नताओं को कोई महत्व नहीं दिया जाता था| अब बालको कि शिक्षा का आयोजन उनके व्यतिगत भेदों को ध्यान मे रखकर किया जाता है|
  5. बालक के विकास कि अवस्थाओं के अनुसार शिक्षा– व्यक्ति जन्म से लेकर प्रोंढावस्था तहा अनेक अवस्थाओं से होकर गुजरता है| ये अवस्थाए है-
  6. शैशवावस्था (B) बाल्यावस्था (C) किशोरावस्था (D) प्रोंढावस्था
  7. शैशवावस्था कि विशेषतए बाल्यावस्था से भिन्न होती है| इसी प्रकार किशोरावस्था कि विशेस्ताए प्रोंढावस्था से भिन्न होती है|
  8. सीखने की प्रक्रिया  मे सुधार– फेले शिक्षको को प्रक्रिया का कोई ज्ञान नहीं था| जो बालक देर मे सीखते थे उन्हे उसके लिए दंडित किया जाता था परंतु मनोविज्ञान एवं मंद बुद्धि के बालको की सहायता करता  था|
  9. पाठ्यक्रम का निर्माण- प्राचीन समय मे बालको को सभी विषय पढ़ाये जाते थे| उनकी रुचियाँ महत्वपूर्ण न थी| किन्तु अब पाठ्यक्रम का निर्माण बालक की रुचियों तथा आवश्यकताओं को ध्यान मे रखकर किया जाता था |
  10. अनुशासन- प्राचीन काल मे अनुशासन की स्थापना दण्ड के आधार पर होती थी| अब मनोविज्ञान मे दण्ड के स्थान पर सहानभूति और शोधन को महत्व प्रदान कर स्थायी अनुशासन की स्थापना मे स्थापना मे सहयोग किया|
  11. बाल स्वभाव का ज्ञान– शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापक को बालक की विकास की विभिन्न अवस्थाओ यूने शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं मे साम्य बनाने उनकी विभिन्न अवस्थायों की मूल प्रवृत्तियों,संवेगो, रुचियाँ आदि से परिचित करता है| यह ज्ञान अध्यापक को बाल केन्द्रित शिक्षा को विकास मे सहयोग प्रदान करता है|
  12. अध्यापक को अधिगम क्रियाओं का ज्ञान- शिक्षण प्रक्रिया मे अधिगम प्रक्रिया का महत्वपूर्ण योगदान है| बिना अधिगम प्रक्रिया के ज्ञान के शिक्षण प्रक्रिया को कर पाना संभव नहीं है| अतः एक अध्यापक को यह ज्ञान होना चाहिए की अधिगम क्या है , अधिगम प्रक्रिया के कौन से नियम है और उन्हे कब और कैसे प्रयोग किया जाये|
  13. निर्देशन मे सहायक है- आधुनिक युग मे निर्देशन का विशेष महत्व है| उचित निर्देशन से बालक अपनी क्षमताओं का उचित ढंग से प्रयोग करता है|
  14. मूल्यांकन मे सहायक- शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों मे इतनी क्षमता उत्पन्न करता है की वे बालको की योग्यता का मापन वैज्ञानिक ढंग से कर सके |

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समय सारणी निर्माण मे सहायक- शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों को समय सारणी निर्माण के सिद्धांतों का ज्ञान कराता है| इसमे अध्यापकों को यह ज्ञान हो जाता है की किस कक्षा मे कौन से विषयों को रखा जाये तथा थकान से बच्चों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है|

   Educational Psychology: Short answer

  => शिक्षा मनोविज्ञान एक अध्यापक के लिए निम्नलिखित कारणो से उपयोगी है-

  1. शिक्षक को सर्वप्रथम बालक को समझना होगा उसे उसकी विभिन्न अवस्थायो मे शारीरिक, मानसिक, सामाजिक विशेषताओं से परिचित होकर शैक्षिक क्रियाओं के निर्धारण मे सहायता प्राप्त होगी|
  2. अन्यथा अध्यापक को बाल स्वभाव एवं व्यवहार से अवगत होना चाहिए वह उसकी जिज्ञासा, रुचि, बुदधिस्तर, योग्यताओं एवं कुशलताओं के आधार पर अपने शिक्षण कार्य को उद्देश्य पूर्ण बना सकता है|
  3. अध्यापक को बालक के व्यक्तिगत विभिन्नताओं के ज्ञान से योजना तैयार करने मे तथा उनकी भिन्नता के आधार पर प्रस्तुत करने मे सहायता मिलती है|
  4. शिक्षा का मुख्य उद्देशय बालक का सर्वांगीण विकास करना है| शिक्षा मनोविज्ञान विशेष रूप से इस उदेश्य की प्राप्ति करने के लिए उपयोगी है-

        => (a) बाल विकास का ज्ञान

            (b) बाल स्वभाव व व्यभार का ज्ञान        

            (c) बालकों का चरित्र निर्माण

            (d) बालकों की आवश्यकता एवं रुचि का ज्ञान

            (e) बालकों के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास

            (f) कक्षा की समस्याओं का समाधान        

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