International Labour Day 2024: 1 मई को क्यों मनाते हैं मजदूर दिवस? जानें क्या है इतिहास
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International Labour Day 2024:

International Labour Day: कब मनाया जाता है?
अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस को हर साल 1 मई को मनाया जाता है। यह दिन श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को मानते हुए उनकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों को समझाने और उनके संघर्षों को याद करने के लिए विशेष रूप से समर्पित होता है। यह दिन अधिकांश देशों में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और विभिन्न आयोजन और समर्थन कार्यक्रमों के द्वारा उत्सवित किया जाता है।
International Labour Day को श्रमिक दिवस, मजदूर दिवस और मजदूर दिवस जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को श्रमिकों, उनकी स्थिति और उनकी समस्याओं से अवगत कराना है। हालाँकि, यह अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है।
क्यों मनाते हैं मजदूर दिवस (International Labour Day)?
मजदूर दिवस को श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका और उनके संघर्ष को समझाने और मान्यता देने के लिए मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों को समर्पित है जो अपने मेहनती काम से समाज में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, लेकिन अक्सर उनकी समस्याओं और आर्थिक परिस्थितियों को नजरअंदाज किया जाता है।
मजदूर दिवस का मुख्य उद्देश्य श्रमिकों की सुरक्षा, उनके अधिकारों की सुरक्षा, उनके जीवन में समानता और न्याय की स्थापना करना है। इस दिन को मनाकर समाज को यह संदेश दिया जाता है कि हर श्रमिक का काम महत्वपूर्ण है और उन्हें सम्मान और उत्कृष्टता के साथ देखा जाना चाहिए।
इस दिन को श्रमिकों के संघर्ष, संघर्षों और सामूहिक आंदोलनों को समर्थन देने के रूप में भी मनाया जाता है, ताकि उनकी आवाज को सुना जा सके और उनकी समस्याओं का हल निकाला जा सके।
मजदूर दिवस का इतिहास (History of International Labour Day):
मजदूर दिवस का इतिहास गहरा और महत्वपूर्ण है, जो श्रमिकों के अधिकारों को मान्यता और सम्मान प्रदान करने के लिए लड़े गए लंबे समर्थन आंदोलनों का परिणाम है। इस दिन का महत्व और इतिहास निम्नलिखित है:
- होमस्टेड स्ट्राइक (1886): मजदूर दिवस का मूल आधार 1 मई, 1886 को होमस्टेड, पेनसिल्वेनिया में हुए एक महत्वपूर्ण श्रमिक आंदोलन से निकला है। इस आंदोलन का मुख्य लक्ष्य था 8 घंटे की कामकाजी समय की मांग करना और उचित वेतन की मांग करना।
- हयमार्केट मास्सेकर (1886): 4 मई, 1886 को चिकागो के हयमार्केट स्क्वेयर में हुई हिंसक घटना ने इस आंदोलन को और भी महत्वपूर्ण बना दिया। इस घटना में पुलिस ने श्रमिकों पर गोलियां चलाई, जिससे कई श्रमिक मारे गए और अनेकों को घायल किया गया।
- प्रज्ञा श्रमिकों का जीत (1889): इस घटना के परिणामस्वरूप, प्रज्ञा क्षेत्र में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में इन मांगों को स्वीकार किया गया और अधिकारिक रूप से 1 मई को “अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस” के रूप में स्वीकृति दी गई।
- इंटरनेशनल लेबर आर्गेनाइजेशन (ILO) (1919): विश्व युद्ध के बाद, 1919 में लीग ऑफ नेशंस के एक अधिवेशन में ILO का स्थापना किया गया, जो श्रमिकों के अधिकारों को संरक्षित करने और उनकी कल्याण की देखभाल करने का लक्ष्य रखता है।
इस प्रकार, मजदूर दिवस का इतिहास श्रमिकों के संघर्ष और उनके अधिकारों के लिए लड़े गए विभिन्न आंदोलनों का परिणाम है, जिनके माध्यम से उन्हें सम्मान और समानता प्राप्त हुई।
भारत में कैसे हुई मजदूर दिवस की शुरुआत?
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत भी गहरे इतिहास और समर्थन आंदोलनों के माध्यम से हुई। भारतीय मजदूरों ने भी अपने अधिकारों के लिए समूचे देश में अद्वितीय संघर्ष और समर्थन कार्यक्रमों को संगठित किया। मजदूर दिवस की शुरुआत के पीछे कुछ महत्वपूर्ण इतिहासिक घटनाएं शामिल हैं:
- बॉम्बे मिल की हड़ताल (1854): भारत में पहला लाइन रेलवे, बॉम्बे से ठाणे के बीच, 16 अप्रैल 1853 को शुरू हुआ था। लेकिन मिल के मजदूरों को इसका कोई लाभ नहीं मिला और उन्हें न्यायपूर्वक वेतन नहीं दिया गया। इसके परिणामस्वरूप, मिल के मजदूरों ने 17 अप्रैल 1854 को हड़ताल किया और वेतन में वृद्धि की मांग की।
- मेजर इंदियन रेलवे हड़ताल (1974): 1974 में भारतीय रेलवे के करीब 1.7 मिलियन कर्मचारियों ने मेजर हड़ताल का आयोजन किया। इस हड़ताल के माध्यम से, कर्मचारियों ने वेतन और अन्य अनुदानों में वृद्धि की मांग की और अपने अधिकारों के प्रति सरकार को संज्ञान दिलाया।
- मजदूर दिवस का स्थापना (1923): भारतीय मजदूर संघ के समर्थन से, 1923 में भारत में मजदूर दिवस का आयोजन किया गया। इस दिन को श्रमिकों के अधिकारों की मान्यता करने और उनके योगदान की प्रशंसा करने के लिए समर्पित किया गया।
इन घटनाओं ने मिलकर मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा और सम्मान में सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया और मजदूर दिवस के मूल आधार को तैयार किया। भारत के चेन्नई (तमिलनाडु ) में 1 मई 1923 में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में मजदूर दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत की गई थी |
कहाँ-कहाँ मनाया जाता है मजदूर दिवस (International Labour Day)?
मजदूर दिवस विभिन्न देशों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। यहां कुछ देशों के उदाहरण दिए जा रहे हैं जहां मजदूर दिवस मनाया जाता है:
- भारत: भारत में मजदूर दिवस 1 मई को मनाया जाता है। इस दिन को अधिकांश राज्यों में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया जाता है और विभिन्न श्रमिक संगठन और सरकारी विभागों द्वारा आयोजित कार्यक्रम होते हैं।
- अमेरिका: अमेरिका में लेबर डे (Labour Day) को पहले सोमवार को सितंबर महीने के पहले बुधवार को मनाया जाता है। यह दिन को अमेरिका में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है।
- ब्रिटेन: ब्रिटेन में लेबर डे (Labour Day) को मई महीने के पहले मंगलवार को मनाया जाता है।
- कनाडा: कनाडा में लेबर डे (Labour Day) को सितंबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है।
इसके अलावा भारत के अलावा भी कई और देश हैं जहां मजदूर दिवस मनाया जाता है और श्रमिकों के अधिकारों की मान्यता की जाती है।
Theme of International Labour Day:
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का विषय हर साल अलग-अलग हो सकता है, और यह अक्सर श्रमिकों के अधिकारों, श्रमिक आंदोलनों और सामाजिक न्याय से संबंधित वर्तमान मुद्दों, चुनौतियों और लक्ष्यों को दर्शाता है। हालांकि मैं किसी विशिष्ट डेटाबेस तक पहुंच के बिना पिछले 10 वर्षों के लिए विशिष्ट विषय-वस्तु प्रदान नहीं कर सकता, मैं आपको सामान्य विषयों के कुछ उदाहरण दे सकता हूं जो हाल के वर्षों में देखे गए हैं:
- मजदूर दिवस 2024 में मजदूर दिवस की थीम ‘सामाजिक न्याय और सभी के लिए सभ्य कार्य‘ है।
- 2023 की थीम: “सकारात्मक सुरक्षा और हेल्थ कल्चर के निर्माण के लिए मिलकर कार्य करना” International labour day 2023
- 2022: “बाल श्रम को समाप्त करने के लिए सार्वभौमिक सामाजिक संरक्षण”
- 2021: “बेहतर पुनर्निर्माण: श्रमिकों द्वारा (पुनः) आकार की दुनिया की ओर”
- 2020: “सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए श्रमिकों को एकजुट करना”
- 2019: “सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए श्रमिकों को एकजुट करना”
- 2018: “सामाजिक और आर्थिक उन्नति के लिए श्रमिकों को एकजुट करना”
- 2017: “अंतर्राष्ट्रीय श्रम आंदोलन का जश्न”
- 2016: “आइए काम को महत्व दें, आधुनिक गुलामी को समाप्त करें”
- 2015: “सामाजिक सुरक्षा: सतत विकास की कुंजी”
- 2014: “सतत विकास: सभी के लिए उचित कार्य”
- 2013: “श्रमिकों के अधिकारों के सम्मान के माध्यम से शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना”
- 2012: “सभ्य कार्य के साथ भविष्य का निर्माण”
Official Government website to apply for Shram (Labour) Card:

ये विषय सभ्य कार्य, सामाजिक सुरक्षा, आधुनिक दासता को समाप्त करने, शांति को बढ़ावा देने और श्रमिकों के अधिकारों को वैश्विक स्तर पर सम्मान सुनिश्चित करने जैसे विभिन्न मुद्दों को संबोधित करने के लिए चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डालते हैं। प्रत्येक विषय उन संबंधित वर्षों के दौरान दुनिया भर में श्रमिकों और श्रमिक आंदोलनों द्वारा सामना की गई सामूहिक आकांक्षाओं और चुनौतियों को दर्शाता है।
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