Science Notes for 10, 12 Board Exam: Matter and its state, Energy

Class 11 Chemistry : Matter - Structural Difference

Science Notes for 10, 12 Board Exam: Matter and its state, Energy, atom

द्रव्य और द्रव्य की अवस्थाएं (Matter and its state)

Matter and its state, Energy

परिचय (Introduction) :-               ब्रह्माण्ड दो अवयवों से मिलकर बना है द्रव्य तथा ऊर्जा | वे सभी वस्तुएँ ,जो स्थान घेरती हैं ,जिनमें भार होता है तथा जिनका ज्ञान हम अपनी ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा कर सकते हैं ,द्रव्य कहलाती हैं |

भार तथा द्रव्यमान (Weight and Mass) :-                 जिस बल से पृथ्वी किसी वस्तु को अपनी ओर आकर्षित करती है , उसे उस वस्तु का भार कहते हैं | इसका मान पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर भिन्न – भिन्न होता है |

                                                            किसी वस्तु में विद्यमान द्रव्य के सम्पूर्ण परिमाण को उस वस्तु का द्रव्यमान कहा जाता है | द्रव्यमान को संहति या मात्रा भी कहते हैं | इसका मान सभी स्थानों पर निश्चित रहता है तथा इसकी इकाई किग्रा है |

                                                                                   W =mg   जहाँ ,    W = भार

                                                                                    m = द्रव्यमान  एवं  g = गुरुत्वीय

ऊर्जा (Energy):-          किसी वस्तु के कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते हैं | ऊर्जा का न तो भार होता है और न ही आकार | यधपि ऊर्जा के प्रभाव का अनुभव ज्ञानेन्द्रियों द्वारा किया जा सकता है | प्रकाश , ऊष्मा , ध्वनि  आदि ऊर्जा के विभिन्न रूप हैं |

द्रव्यमान तथा ऊर्जा में सम्बन्ध (Relation between Mass and Energy)

आइन्सटीन के अनुसार ,यदि द्रव्य नष्ट होता है तब उसी के समतुल्य ऊर्जा निर्मुक्त होती है |

अतः द्रव्यमान तथा ऊर्जा में सम्बन्ध दर्शाने के लिए  आइन्सटीन ने निम्न समीकरण दिया

       E = mc2       जहाँ ,  E =उत्पन्न ऊर्जा की मात्रा

        m = नष्ट हुआ द्रव्यमान

         c = प्रकाश का वेग ( 3*108  मी  से 1 )

द्रव्य की अवस्थाएँ (State of Matter): 

द्रव्य निम्नलिखित भौतिक अवस्थाओं में पाया जाता है

  1. ठोस अवस्था (Solid):-           द्रव्य की वह अवस्था जिसमें उसका आकार तथा आयतन दोनों निश्चित होते हैं ,ठोस अवस्था कहलाती है |

उदाहरण – लोहा ,लकड़ी ,पत्थर ,बर्फ ,गन्धक आदि |

  • द्रव अवस्था (Liquid):-             द्रव्य की वह अवस्था जिसमें उसका आयतन तो निश्चित होता है लेकिन आकर अनिश्चित होता है ,द्रव अवस्था कहलाती है |

उदाहरण – जल ,दूध ,तेल ,परा ,गिल्सरीन आदि |

  • गैस अवस्था (Gas):        द्रव्य की वह अवस्था जिसमें उसका आयतन तथा आकार दोनों ही निश्चित नहीं होते है गैस अवस्था कहलाती है | ये जिस पात्र में रखे जाते हैं , उसी का आकार व आयतन ग्रहण कर लेते हैं |

उदाहरण – वायु हाइड्रोजन ,नाइट्रोजन ,ऑक्सीजन आदि |

  •  चूँकि द्रव तथा गैसों में बहने का गुण होता है अतः इन्हें तरल भी कहा जाता है |
  •  जल विभिन्न दशाओं में भिन्न – भिन्न अवस्थाओं में रह सकता है | उदाहरण – सामान्य ताप पर जल ,द्रव अवस्था में पाया जाता है | 0C से कम ताप पर यह बर्फ (ठोस) के रूप में पाया जाता है तथा 1000 C ताप पर यह वाष्प (गैस) के रूप में पाया जाता है |
  • प्लाज्मा (Plasma):

प्लाज्मा द्रव्य की चौथी अवस्था है | यह सर्वविदित है कि ठोस ,द्रव एवं गैस सभी विद्युतीय  रूप से उदासीन रहते हैं लेकिन ब्रह्माण्ड में पदार्थ का अधिकांश भाग आयनित अवस्था में पाया जाता है | यही आयनीकृत अवस्था प्लाज्मा कहलाती है |

प्लाज्मा का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक संयंत्रों में होने के कारण निरंतर बढ़ता जा रहा है | इसका उपयोग ऊष्मानाभिकीय शक्ति और विद्युतीय शक्ति के लिए हो सकता है |

प्लाज्मा के कारण ही सूर्य और तारों में चमक होती है |

NOTE POINT

भौतिक की वह शाखा जो विद्युत्  उत्पादन क्र लिए प्लाज्मा का अध्ययन  करती है ‘मैगनेटो हाइड्रो  गतिकी ‘ है | फ्लोरोसेन्ट ट्यूब और नियोन बल्ब में प्लाज्मा होता है |

  • बोस आइन्सटीन कनडनसेट (Bose Eienstein Condensent):

यह द्रव्य की पांचवीं ज्ञात अवस्था है | यह भी ताप दाब की विशिष्ट परिस्थितियों के अंतर्गत देखी जा सकती है |

  • द्रव्य की प्रथम तीन अवस्थाएँ ही सामान्यतः देखी जा सकती हैं  |

द्रव्यों में अवस्था परिवर्तन

द्रव्य की अवस्था परिवर्तन का मुख्य कारन , उसमें उपस्थित अणुओं की गतिज एवं स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन है | तापमान बढाने पर ,अणुओं की गतिज ऊर्जा अधिक होने के कारण ,द्रव्य अपनी ठोस अवस्था  से द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाता है | तापमान में और अधिक वृध्दि करने पर , गतिज ऊर्जा अत्यधिक होने के कारन अनु मुक्त रूप से गति करने लगतें हैं अर्थात द्रव्य ,गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है |

तापमान कम करने पर उपरोक्त के विपरीत क्रियाएँ होती हैं तथा द्रव्य ,ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है |

द्रव्य ,अपनी एक अवस्था से दूसरी अवस्था में निम्न प्रक्रमों द्वारा परिवर्तित होता है

        गलन (Melting Point):-                          वह निश्चित ताप ,जिस पर कोई द्रव्य अपनों ठोस अवस्था से पूर्ण रूप से द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाता है ,उस द्रव्य का गलनांक कहलाता है तथा यह प्रक्रम गलन कहलाता है | अशुध्दि की उपस्थिति में गलनांक कम हो जाता है

        हिमांक (Freezing point):-                          वह निश्चित ताप ,जिस पर कोई द्रव्य अपनी द्रव्य अवस्था से ठोस अवस्था में परिवर्तित हो जाता है अर्थात जम जाता है ,उस द्रव्य का हिमांक कहलाता है |

             क्वथन (Boiling Point):-                                   वह निश्चित ताप ,जिस पर कोई द्रव्य उबलना शुरु करता है अथवा गर्म करने पर जिस ताप पर द्रव का वाष्पदाब , वायुमंडलीय दाब के बराबर हो जाता है, उस द्रव का क्वथनांक कहलाता है तथा यह प्रक्रम क्वथन कहलाता है |

  • अशुध्दि की उपस्थिति में क्वथनांक बढ़ जाता है |
  • दाब बढ़ने पर क्वथनांक बढ़ जाता है तथा दाब कम होने पर क्वथनांक कम हो जाता है | उदाहरण –
  • पहाड़ो पर वायुमंडलीय दाब का मान कम होता है अतः द्रव का वाष्पदाब ,कम ताप पर ही उबलने लगता है | अतः पहाड़ों पर जल अपने सामान्य क्वथनांक से पहले ही उबलने लगता है |
  • प्रेशर कुकर से वाष्प बाहर नहीं जा सकती , इस कारण कुकर में जल पर दाब बढ जाता है | अतः जल का क्वथनांक भी बढ जाता है | कुकर में उच्च ताप प्राप्त हो जाने के कारण दाल शीघ्रता से गल जाती है | सामान्य परिस्थितियों  में जल का क्वथनांक 1000 C होता है  |  

        वाष्पन (Evaporation):-         किसी भी ताप पर , द्रव के वाष्प में बदलने की क्रिया वाष्पन कहलाती है | वाष्पन की दर ,द्रव की सतह के क्षेत्रफल ,वायुमंडल के ताप तथा वायु में आद्रता  पर निर्भर करती है |

        उध्र्वपातन (Sublimation):            कुछ ठोस पदार्थ ,गर्म करने पर ,बिना द्रव अवस्था में परिवर्तित हुए ,सीधे ही गैस अवस्था में परिवर्तित हो जाते हैं | ऐसे पदार्थ उध्र्वपताज तथा यह प्रक्रम उध्र्वपातन  कहलाता है | उदाहरण –  नौसादर , कपूर , आयोडीन आदि |       

द्रव्य का अणुगति सिध्दांत

इस सिध्दांत के अनुसार ,

  •  द्रव्य अत्यंत छोटे – छोटे कणों से मिलकर बना है , जो स्वतंत्र  अवस्था में रह सकते हैं | इन    कणों को अणु कहते हैं |
  •  एक ही द्रव्य के समस्त अणु सभी प्रकार से गुणधर्मों में समान होते हैं जबकि विभिन्न द्रव्यों के अणु गुणधर्मों में भिन्न – भिन्न होते है |
  • द्रव्य के अणुओं के मध्य कुछ रिक्त स्थान होता है जिसे अन्तर -आण्विक स्थान कहते हैं |
  • द्रव्य के अणुओं के मध्य आकर्षण तथा प्रतिकर्षण बल कार्य करता है जिसके कारन उनमें स्थितिज ऊर्जा होती है | इस आकर्षण बल को ससंजक बल कहते हैं | यह ससंजक बल ठोस अवस्था में सबसे अधिक ,परन्तु गैसीय अवस्था में सबसे कम होता है |
  • द्रव्य के अणु निरंतर गस्ती करते रहते  हैं जिसके कारन उनमें गतिज ऊर्जा होती है |
  • द्रव्य का ताप बढाने से उसके अणुओं की गतिज ऊर्जा बढती है |

परमाणु

यह द्रव्य का वह सूक्ष्मतम कण है जो किसी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है | यह स्वतंत्र रह भी सकता है और नहीं भी | बहुत से (समान अथवा असमान) परमाणु संयुक्त होकर अणु का निर्माण करते हैं |

NOTE POINT

अणु का निर्माण दो या दो से अधिक परमाणुओं के निश्चित अनुपात में जुड़ने से होता है जिसका अणुभार उसमें उपस्थित सभी परमाणुओं के परमाणु भारों को जोड़कर प्राप्त किया जाता है |

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