15 November 2024 festival : Know today’s important Teej, festivals, & historical days

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15 November 2024 festival : आज 15 नवंबर 2024 को कार्तिक पूर्णिमा पड़ रही है यह त्रिपुरारी पूनम है और आज के दिन गुरु नानक जयंती मनाई जाएगी | इस रास पूर्णिमा का दिन भी जाना जाता है और इस दिन स्नान दान व्रत पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है| 15 नवंबर 2024 को ऐतिहासिक क्या-क्या हुआ और गुरु नानक जयंती व कार्तिक पूर्णिमा को क्यों महत्व दिया जाता है, जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक पढ़ें|

15 नवम्बर के ऐतिहासिक घटनाएँ

  1. 1864 – भ्रामर युद्ध (Battle of Kammam)
    15 नवम्बर 1864 को हैदराबाद राज्य के कम्मम में भारतीय विद्रोह का एक महत्वपूर्ण संघर्ष हुआ था। यह युद्ध ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा था।
  2. 1920 – प्रथम विश्व युद्ध के बाद लेट्ज़ेन शांति समझौता
    15 नवम्बर 1920 को पोलैंड और सोवियत रूस के बीच लेट्ज़ेन शांति समझौता हुआ, जिसने प्रथम विश्व युद्ध के बाद की स्थिति को स्थिर किया।
  3. 1948 – चंपारण सत्याग्रह की शुरुआत
    महात्मा गांधी ने चंपारण, बिहार में 15 नवम्बर 1948 को किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ था और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण घटना रही।
  4. 1966 – भारत में पहली बार राजीव गांधी का चुनाव
    15 नवम्बर 1966 को भारत में कांग्रेस पार्टी के सदस्य के रूप में राजीव गांधी का चुनाव हुआ। बाद में वह भारत के प्रधानमंत्री बने।
  5. 1992 – बाबरी मस्जिद विवाद
    15 नवम्बर 1992 को भारत में बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद के बाद एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया था, जो भारतीय राजनीति और धर्मनिरपेक्षता के संदर्भ में महत्वपूर्ण रहा।
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15 November 2024 in History

15 नवम्बर के विशेष त्योहार

  1. झारखंड दिवस (Jharkhand Diwas)
    झारखंड राज्य के गठन की 15 नवम्बर को वर्ष 2000 में हुई थी, और इसी दिन को झारखंड दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन राज्य के सांस्कृतिक धरोहर, इतिहास और विकास को मनाने का दिन है।
  2. संथाली त्योहार – “सारहुल” (Saharul Festival)
    संथाल जनजातियों द्वारा 15 नवम्बर को सारहुल त्योहार मनाया जाता है। यह आदिवासी समुदाय द्वारा प्रकृति की पूजा और अच्छे कृषि उत्पादन के लिए किया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है।
  3. गोंड आदिवासी त्योहार
    गोंड आदिवासी समुदाय 15 नवम्बर को एक पारंपरिक त्योहार मनाते हैं जिसमें कृषि, प्रकृति और जीवन के विभिन्न पहलुओं की पूजा की जाती है। यह विशेष रूप से मध्य भारत के गोंडवाना क्षेत्र में मनाया जाता है।
  4. आज 15 नवंबर 2024 को भ० बिरसा मुंडा जयंती, म० सुदर्शन जयंती, राष्ट्रीय जनजाति गौरव दिवस मनाया जाता है और १५ नवंबर २०२४ से माँ नर्मदा परिक्रमा होगी व् जबलपुर में भेड़ाघाट मेला प्रारम्भ होगा |

यह दिन भारतीय इतिहास और संस्कृति में गहरे मायने रखता है और विविधताओं से भरा है।

गुरुनानक जयंती: भारतीय संस्कृति का एक अनुपम पर्व

गुरुनानक जयंती Gurunank jayanti

गुरुनानक जयंती, जिसे “गुरुपूरब” भी कहा जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व सिखों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। 2024 में यह पर्व 15 नवम्बर को मनाया जाएगा। गुरु नानक देव जी ने न केवल सिख धर्म की नींव रखी, बल्कि उन्होंने मानवता, समानता और भाईचारे का संदेश दिया, जो आज भी हमें प्रेरित करता है।

गुरु नानक देव जी का जीवन

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) के ननकाना साहिब में हुआ था। वे एक ऐसे महान संत, धार्मिक गुरु और समाज सुधारक थे जिन्होंने धार्मिक बुराइयों, अंधविश्वास और कट्टरता के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने “एक ओंकार” का सिद्धांत दिया, जो यह बताता है कि परमात्मा एक है और उसकी उपासना सच्चे मन से करनी चाहिए। गुरु नानक देव जी का जीवन बहुत ही सरल, शांतिपूर्ण और समानता का प्रतीक था।

गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में कई यात्राएँ कीं, जिन्हें “उदासी” कहा जाता है। इन यात्राओं के दौरान उन्होंने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के बीच एकता और भाईचारे का संदेश फैलाया। उनके अनुसार, कोई भी धर्म, जाति या रंग-रूप का भेदभाव नहीं होना चाहिए। उनका यह संदेश आज भी समाज में प्रासंगिक है और इसे हर समाज के लोग सम्मान देते हैं।

गुरुनानक जयंती का महत्व

गुरुनानक जयंती सिख धर्म के अनुयायियों के लिए केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक अवसर है जब लोग गुरु नानक देव जी के विचारों को आत्मसात करते हैं और अपने जीवन में उन आदर्शों को लागू करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन सिख धर्म के अनुयायी गुरुद्वारों में विशेष पूजा और अरदास करते हैं। पूरे भारत और दुनिया भर में इस दिन का विशेष महत्व है और लाखों लोग इस पर्व को श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाते हैं।

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गुरुनानक जयंती पर विशेष आयोजन

  1. प्रकाश उत्सव (Prakash Utsav)
    गुरुनानक जयंती के दिन सिख धर्म के अनुयायी गुरुद्वारों में विशेष पूजा आयोजित करते हैं। यह पूजा “श्री गुरु ग्रंथ साहिब” के भव्य पाठ और कीर्तन के साथ होती है। इस दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है और रात भर “दीवाली” जैसा माहौल होता है। गुरुद्वारे में लंगर (समाज सेवा) की भी व्यवस्था की जाती है, जिसमें सभी जातियों और धर्मों के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। यह सिख धर्म का प्रमुख सिद्धांत है – “लंगर” – जहां हर किसी को जाति, धर्म या रंग-रूप के भेद के बिना भोजन दिया जाता है।
  2. नगर कीर्तन (Nagar Kirtan)
    गुरुनानक जयंती के अवसर पर नगर कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारा से शहरी क्षेत्र की ओर कीर्तन करते हुए यात्रा करते हैं। इस यात्रा में लोग गुरु की वाणी का प्रचार करते हैं और भक्ति गीत गाते हैं। यह कीर्तन पूरी श्रध्दा और खुशी के साथ किया जाता है, जिससे सिख धर्म की शिक्षा और विचारों को समाज में फैलाया जाता है।
  3. विशेष धार्मिक अनुष्ठान
    इस दिन गुरुद्वारों में “अखंड पाठ” (श्री गुरु ग्रंथ साहिब का निरंतर पाठ) का आयोजन होता है। इस पाठ के समापन के बाद, विशेष अरदास (प्रार्थना) की जाती है, जिसमें गुरु नानक देव जी की आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इस दिन विशेष रूप से सिख समाज में सेवा और धर्म के प्रति समर्पण का जश्न मनाया जाता है।

गुरु नानक देव जी के उपदेश

गुरु नानक देव जी ने जो उपदेश दिए, वे आज भी हमारी जिंदगी का हिस्सा हैं। उनके कुछ प्रमुख उपदेशों में शामिल हैं:

  1. “ईश्वर एक है” – गुरु नानक ने परमात्मा की एकता का संदेश दिया। उनके अनुसार, भगवान एक है और उसका रूप निराकार है।
  2. समानता का संदेश – गुरु नानक ने जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने यह बताया कि सभी इंसान समान हैं और हमें एक-दूसरे के साथ प्रेम और समानता से पेश आना चाहिए।
  3. सच्चा कर्म और मेहनत – गुरु नानक ने यह भी कहा कि इंसान को अपने जीवन में सच्चे कर्म करने चाहिए और मेहनत से जीवन यापन करना चाहिए। केवल इश्वर के नाम का जाप और भक्ति से ही आत्मा को शांति मिलती है।
  4. सेवा और दया – गुरु नानक का मानना था कि इंसान का सबसे बड़ा धर्म है दूसरों की सेवा करना। लंगर का आयोजन इसी सेवा की भावना से प्रेरित था।

निष्कर्ष

गुरुनानक जयंती सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश है। यह हमें यह याद दिलाती है कि जीवन का उद्देश्य सिर्फ भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं है, बल्कि सच्चाई, प्रेम, समानता और सेवा के मार्ग पर चलना है। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का पालन कर हम अपने समाज को एक बेहतर जगह बना सकते हैं। उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलकर ही हम सच्चे मानव बन सकते हैं। इस दिन हम सबको गुरु नानक देव जी के उपदेशों को अपनाने और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा देने का संकल्प लेना चाहिए।

गुरु नानक देव जी की जयंती पर हम सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ!

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