Rajya aur prasidh lok nratya: UPSC Art & Culture important topic, जानें 28 राज्यों के लोक नृत्य, इस पोस्ट में जानेंगे राज्यों और उनमें प्रसिद्ध है लोक नृत्य और संस्कृति के बारे में
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Rajya aur prasidh lok nratya
हिमाचलप्रदेश के लोक नृत्य
नाटी का तात्पर्य हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के पारंपरिक नृत्य से है | यह नृत्य गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रोकॉर्ड में सबसे बड़े लोक नृत्य के रूप में सूचीबध्द है | यह पूरे हिमाचल प्रदेश में बहुत लोकप्रिय है |
• किन्नौरी नाटी का तात्पर्य हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के पारंपरिक नृत्य से है | यह नृत्य गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सबसे बड़े लोक नृत्य के रूप में सूचीबध्द है | यह पूरे हिमाचल प्रदेश में बहुत लोकप्रिय है | चंडीगढ़ में भी यह नृत्य लोकप्रिय है जहाँ हिमाचली युवा सांस्कृतिक कार्यक्रमों में यह प्रस्तुत करते है |
• झाली , हिमाचल प्रदेश की सीमाओं के बाहर बहुत कम जाना जाने वाले क्षेत्र में प्रस्तुत किया जाने वाला एक लोकनृत्य है | झाली नृत्य, कटाई के लिए प्रसन्नता तथा कृतज्ञता के प्रतीक रूप में किया जाता है |
• महासू, लोक नृत्य भगवान की प्रस्तुति में किया जाता है | नृत्य हर अगस्त में आयोजित महासू देवता मेले का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है | इसे वह बहुत्ब ही धूमधाम से मनाया जाता है |
• डांगी नृत्य की शुरुआत डांगो में हुई थी | यह ऊर्जा, कौशल और उत्साह से भरा एक आदिवासी नृत्य हैं | पुरुष और महिलाएं एक- दूसरे की कमर पर हाथ रखकर एक श्रंखला बनाते है तथा वृत्ताकार गति में एकसाथ नृत्य करते हैं |
झारखण्ड राज्य के नृत्य
करमा नृत्य जिसे झारखण्ड छतीसगढ़ मध्यप्रदेश, बिहार, उड़ीसा और देश के अन्य क्षेत्रों की जनजातियों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है , इसे करमा नाचिस भी कहा जाता है | यह आदिवासी नृत्य करमा पूजा के शरदकालीन त्योहार के दौरान प्रस्तुत किया जाता है |
कर्नाटक राज्य के लोक नृत्य
• यक्षगान , एक पारंपरिक थिएटर रूप है जिसमें एक अनूठी शैली और रूप के साथ नृत्य , संगीत,संवाद, पोशाक, मेकप और मंच तकनीकें भी शामिल है | यह थिएटर शैली मुख्य रूप से कर्नाटक के तुलुनाडू और मलेनडू क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में पाई जाती है |
• सुग्गी कुनिथा, कर्नाटक में एक उत्सव नृत्य है | यह कर्नाटक के एक समुदाय हलाक्की वोक्कालिगा द्वारा किया जाता है |
• करगा, कर्नाटक का एक लोक नृत्य है, जो द्रौपदी को समर्पित एक अनुष्ठान के रूप में आरंभ हुआ था, जिसे इन भागों में दरौप्तमम्मा के रूप में जाना जाता है | पूर्णिमा के दिन यह अनुष्ठान किया जाता है |
केरल राज्य के लोक नृत्य
कथकली , शास्त्रीय भारतीय नृत्य के प्रमुख रूपों में से एक है | यह एक स्टोरी प्ले विधा की कला है, लेकिन पारंपरिक रूप से पुरुष नर्तक-नर्तकियों के पहनने के रूप- रंग और रंग- बिरंगे परिधानों से अलग है |
ओटन थुल्लाल, भारत के केरल का एक नृत्य और काव्य प्रदर्शन रूप है | यह कंचन नांबियार द्वारा 18 वीं शताब्दी में प्रस्तुत किया गया था |
मोहिनीअट्टम को मोहिनी- अट्टम के रूप में भी जाना जाता है , जिसे भारतीय पौराणिक कथाओं में हिन्दू भगवान विष्णु के एक प्रसिध्द महिला अवतार मोहिनी से लिया गया है | यह त्योहार वहां लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते है |
कैकोट्टीकली , केरल के युवकों द्वारा किया जाने वाला एक अत्यंत लोकप्रिय लोक नृत्य है | यह एक सामूहिक नृत्य है और मुख्य रूप से ओणम और तिरुवथिरा के अवसर पर किया जाता है |
लक्षद्वीप राज्य के लोक नृत्य
लावा नृत्य, मुख्य रूप से लक्षद्वीप में पुरुषों द्वारा किया जाने वाला एक लोक नृत्य है, जो प्रसिध्द अवसरों पर किया जाने वाला एक प्रसिध्द पारंपरिक नृत्य हैं | लावा शब्द का अर्थ है सुंदर नृत्य , गीत और लयबध्द गति | इसे वहां के लोक बहुत ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत करते है |
मध्यप्रदेश राज्य के लोक नृत्य
• तेरहताली , मध्यप्रदेश की कमार जनजातियों द्वारा किया जाने वाला एक लोक नृत्य है | इसमें नृत्य के कई तत्वों के साथ एक विस्तृत अनुष्ठान भी है | यह राजसी नृत्य आमतौर पर दो या तीन महिलाएं , जो जमीन पर बैठती हैं, द्वारा किया जाता है |
• ज्वारा , एक फसल नृत्य है, आमतौर पर मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में किया जाता है | यह उन किसानों की उलास और ख़ुशी को दर्शाता है, जिन्होंने अच्छी फसल प्राप्त की हो |
• मटकी नृत्य , ज्यादातर भारत के मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में किया जाता है | यह महिलाओं द्वारा शादियों , जन्मदिन जैसे विशेष अवसरों पर किया जाने वाला एक एकल नृत्य है |
• फूलपति नृत्य , भारत के मालवा क्षेत्र में किया जाता है | यह नृत्य अविवाहित लड़कियों द्वारा किया जाता है | यह होली के अवसर पर किया जाता है |
• ग्रिडा नृत्य , मध्यप्रदेश के गांवों के किया जाता है | यह नृत्य रबी फसलों ( सर्दियों की फसलों ) के विकसित होने का जश्न मनाने के लिए किया जाता है | यह विभिन्न गांवों से संबंधित समूहों द्वारा किया जाता है, जो इस अवसर के लिए एकत्र होते हैं | •
मांच , ओपरेटिव बैले का एक रूप है , जो मालवा में बहुत लोकप्रिय है | यह राज्य मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र का एक गेय लोक नाटक है | मांच की भाषा पारंपरिक रूप से मालवी है |
मिजोरम राज्य के लोक नृत्य
• चेरव नृत्य , भारत के मिजोरम राज्य में किया जाने वाला एक अनुष्ठानिक नृत्य है , जिसमें चार लोग होते हैं , और बांस की दो पारियों को पकड़ते हैं | यह मिजोरम राज्य का बहुत लोकप्रिय नृत्य है |
मणिपुर राज्य के लोक नृत्य
• ढोल चोलोम , एक ड्रम नृत्य है जो मणिपुर में होली के दौरान किये जाने वाले नृत्यों में से एक है |
महाराष्ट्र राज्य के लोक नृत्य
• लावणी , महाराष्ट्र में लोकप्रिय संगीत की एक शैली है | लावणी पारंपरिक गीत और नृत्य का एक संयोजन है, जो विशेष रूप से ढोलकी की धुन पर किया जाता है |
• कोली नृत्य , महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले कोलिस के मछुआरों के समुदाय का एक लोकप्रिय नृत्य है |
• लजीम , महाराष्ट्र का एक लोक नृत्य रूप है | इस नृत्य का नाम एक वुडेन आईडियोफोन के नाम पर रखा गया है, जिस पर पतली धातु की डिस्क लगी हुई है, जो एक जिन्गिलग ध्वनि उत्पन्न करती है और नर्तकों द्वारा नृत्य करते हुए इसका उपयोग किया जाता है |
• पावरी नाच ( तार्फा नाच भी ) महाराष्ट्र का एक प्रसिध्द नृत्य है | यह कोकना जनजातियों का एक विशिष्ट संरक्षण है | तार्फा या पावरी , सूखे लौकी से बना एक पवन वाद्य , इस नृत्य में प्रयुक्त मुख्य यंत्र है | इसलिए नृत्य को तार्फा नाच या पावरी नाच के नाम से जाना जाता है |
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ओडिशा राज्य के लोक नृत्य
• ओडिसी को पुराने साहित्य में ओरसी भी कहा जाता है, यह एक प्रमुख्य प्राचीन भारतीय शास्त्रीय नृत्य है जो ओडिशा के हिन्दू मंदिरों में आरंभ हुआ था | इसे वहां के लोक बहुत ही धूमधाम तरीके से मनाते है |
• छऊ नृत्य , पूर्वी भारतीय राज्यों ओडिशा, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल में मार्शल , आदिवासी और लोक मूल के साथ एक अर्ध शास्त्रीय भारतीय नृत्य है |
• घूमर नृत्य उड़ीसा में सबसे अधिक प्रचलित तथा प्रमुख नृत्य है | घूमर नृत्य को कोणार्क के सूर्य मंदिर में दर्शाया गया है जो इस नृत्य की पुष्टि करता है कि यह मध्यकाल से है |
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• गोटीपुआ , भारत के ओडिशा राज्य का एक पारंपरिक नृत्य रूप है, और ओडिसी शास्त्रीय नृत्य का अग्रदूत है | यह उड़ीसा में सदियों से युवा लड़कों द्वारा किया जाता रहा है, जो जगन्नाथ और कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए महिलाओं की वेशभूषा पहनते हैं |
• संबलपुरी लोक नृत्य , मुख्य रूप से ओडिशा के संबलपुर जिले से उत्पन्न हुआ है |